35 लाख स्वयंसेवी युवाओं को तैयार करने वाले डॉ. बी. इस्लाम कैरानवी और श्री मोहम्मद नईम को किया गया सम्मानित: जामा मस्जिद स्थित 'दीन-दुनिया' कार्यालय में मेडिकल एक्सरसाइज़ कार्यशाला का आयोजन, समाजसेवा में उत्कृष्ट योगदान पर गोल्ड मेडल प्रदान

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के जामा मस्जिद स्थित ‘दीन-दुनिया’ कार्यालय में रविवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें समाजसेवा और स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले प्रसिद्ध समाजसेवी डॉ. बी. इस्लाम कैरानवी और दिल्ली यूथ वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री मोहम्मद नईम को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन विभिन्न सामाजिक संगठनों के सहयोग से किया गया, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय नागरिकों को बीमारियों से बचाव और स्वास्थ्य सुधार के लिए मेडिकल एक्सरसाइज़ की जानकारी देना था। इस अवसर पर पैरा-मेडिकल एक्सरसाइज़ कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने भाग लिया।
35 वर्षों की सेवा, 35 लाख वॉलिंटियर्स की तैयार फौज

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत सरकार से मान्यता प्राप्त योग एवं मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षक कौसर जी ने डॉ. बी. इस्लाम के कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 1975 से 2012 तक, डॉ. इस्लाम ने हाई-क्वालिटी साइको-फिजियोथेरेपी और थैरेप्युटिक योग अभ्यास के माध्यम से लोगों को शारीरिक व मानसिक रोगों से राहत दी। इसी सिद्धांत पर काम करते हुए उन्होंने 35 लाख युवाओं की स्वयंसेवी फौज तैयार की, जो आज विभिन्न समाजसेवी और स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत है।
उन्होंने कहा कि यह कार्य एक दिन में नहीं हुआ, बल्कि 35 वर्षों की लगातार मेहनत, अनुसंधान और निःस्वार्थ सेवा का परिणाम है। डॉ. इस्लाम ने जाति, धर्म, वर्ग से ऊपर उठकर समाज के हर तबके के युवाओं को प्रशिक्षित किया।

“सेवा ही सफलता का मूल मंत्र” — हकीम अताउर रहमान अजमली

कार्यक्रम में ए एंड एस फार्मेसी के मैनेजिंग डायरेक्टर हकीम अताउर रहमान अजमली ने डॉ. इस्लाम के विचारों को साझा करते हुए कहा, “सच्चे सूफी, योगी और समाजसेवी वही होते हैं जो बिना किसी अपेक्षा के सेवा करते हैं। केवल अनुयायी बनकर या आदर्श जीवन को अपनाकर ही इस राह में कामयाबी हासिल की जा सकती है।”

राष्ट्रपति भवन से योग की अंतरराष्ट्रीय मान्यता तक का सफर

कार्यक्रम के दौरान श्री मोहम्मद नईम ने एक ऐतिहासिक घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि डॉ. इस्लाम द्वारा प्रशिक्षित 302 नवयुवकों को वर्ष 1997 में राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा के हाथों ‘मेरिट सर्टिफिकेट’ प्राप्त हुआ था।

इसके बाद वर्ष 2008 में भारत सरकार द्वारा शिक्षकों के पहले योगा इंस्ट्रक्टर कोर्स का नेतृत्व डॉ. इस्लाम को सौंपा गया। वहीं वर्ष 2015 में तैयार किए गए अंतरराष्ट्रीय स्तर के योग स्टडी मटेरियल को भारत सरकार की आधिकारिक पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया गया, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी गई।

सम्मान और कृतज्ञता का क्षण

कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों ने डॉ. इस्लाम और मोहम्मद नईम के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर ‘दीन-दुनिया’ संस्था के सेक्रेटरी जनरल अरशद अली फैहमी और हकीम अताउर रहमान अजमली ने दोनों समाजसेवियों को गोल्ड मेडल से नवाज़ा।

कार्यक्रम की सफलता में स्थानीय लोगों के साथ-साथ युवा वर्ग की भी महत्वपूर्ण भागीदारी रही। मेडिकल एक्सरसाइज़ पर आधारित यह पहल न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाली थी, बल्कि समाजसेवा को एक नई दिशा देने वाली भी साबित हुई।

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सम्पादक: मोहम्मद रज़ा

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