सिन्धी भाषा का संरक्षण जरूरी, युवा पीढ़ी तक हो हस्तांतरण : संत टहलगिरी गोस्वामी अजमेर में सिन्धी भाषा दिवस पर पूजन-अर्चना और भजन संध्या का आयोजन
अजमेर, 10 अप्रैल 2025 —
सिन्धी भाषा दिवस के अवसर पर आज अजमेर के मायाणी स्थित राजावीर साहिब दुर्गा माता मंदिर में विशेष पूजन-अर्चना और भजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान पूज्य सिन्धी संत टहलगिरी गोस्वामी ने कहा कि "सिन्धी भाषा का संरक्षण और उसे युवा पीढ़ी तक पहुंचाना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। यदि हमने समय रहते प्रयास नहीं किए, तो यह समृद्ध भाषा लुप्त होने की कगार पर पहुंच सकती है।"
कार्यक्रम में पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर और राजावीर साहिब दुर्गा माता दरबार के महासचिव रमेश लालवानी ने बताया कि 10 अप्रैल 1967 को सिन्धी भाषा को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। यह ऐतिहासिक निर्णय भारत सरकार द्वारा 21वें संविधान संशोधन के तहत लिया गया था और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा इसे संवैधानिक मान्यता दी गई थी।
इस अवसर पर मंदिर परिसर में भजन, पंजडे और गीतों की प्रस्तुति हुई, जिसमें सिन्धी संस्कृति की झलक देखने को मिली।
संगठन सचिव राजेश झूरानी ने जानकारी दी कि महासचिव रमेश लालवानी के पास वर्ष 1980 से सिन्धी फिल्मों और गीतों की दुर्लभ ऑडियो कैसेट्स का संग्रह मौजूद है, जो संस्कृति के संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
पूजन कार्यक्रम में महन्त संत प्रकाश गोस्वामी, श्रीमती रेखा गोस्वामी, प्रकाश बच्चानी, मीना बच्चानी, श्रीमती ज्योति गोस्वामी, श्रीमती कविता और डॉ. जयकुमार भारती सहित कई श्रद्धालु और समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
सिन्धी भाषा दिवस का यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक रहा, बल्कि इसने भाषा के संरक्षण के लिए गंभीर चर्चा और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
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