"जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में मुफ्ती जकावत हुसैन कासमी का प्रभावशाली बयान – ईमान और अकीदे की हिफाजत पर जोर!"
नई दिल्ली। जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में मुफ्ती जकावत हुसैन कासमी (शेखुल हदीस, मदरसा अमीनिया, कश्मीरी गेट) ने समाज में फैल रहे गलत अकीदों और नबूवत के झूठे दावेदारों को लेकर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि आजकल के दौर में कई लोग मुनाफिक (दोगले) और मक्कार बनकर सादगी पसंद लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से शकील बिन हनीफ और उसके अनुयायियों का ज़िक्र किया, जो भोले-भाले मुसलमानों को अपने ग़लत अकीदे की ओर खींचकर उनका ईमान कमजोर कर रहे हैं।
धर्मत्याग का बढ़ता खतरा
मुफ्ती कासमी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि किस तरह से कई मुसलमान आसानी से इरतिदाद (धर्मत्याग) का शिकार हो जाते हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि वे कुरान-ए-करीम से जुड़ें, इसके मायनों पर ध्यान दें और अपने ईमान को मजबूत करें।
रोजा, नमाज, मिश्रित शिक्षा और पर्दे पर विस्तार से चर्चा
अपने बयान में मुफ्ती साहब ने रोजा, नमाज, शिक्षा और इस्लामी पर्दे के महत्व पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने स्टूडेंट्स को इस्लामी तालीम से जुड़ने और अपने अकीदे को मजबूत करने की सलाह दी।
शिक्षकों और छात्रों पर पड़ा गहरा प्रभाव
इस कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स, प्रोफेसर और टीचर्स ने बड़ी संख्या में शिरकत की। सभी उपस्थित लोग मुफ्ती साहब के प्रभावशाली विचारों से प्रेरित हुए और उन्हें भविष्य में फिर से आमंत्रित करने की इच्छा जताई।
आयोजन के प्रमुख जिम्मेदार
कार्यक्रम के संरक्षक प्रोफेसर शाकिर जमील साहब थे, जबकि संचालन की ज़िम्मेदारी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शहजाद ने निभाई। इस अवसर पर मौलाना मोहम्मद आरिफ कासमी (चेयरमैन, ऑल इंडिया इमाम फाउंडेशन) भी मौजूद रहे। उन्होंने आयोजन की सराहना की और इसे मुसलमानों के ईमान को मजबूत करने वाला कदम बताया।
विशेष शुभकामनाएं
दिल्ली के मशहूर हकीम अता उर रहमान अजमली, एम.डी. ए एंड एस फार्मेसी ने इस मौके पर अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं और इस तरह के धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों की सराहना की।
इस्लामिक शिक्षा और सही अकीदे को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित यह कार्यक्रम यूनिवर्सिटी में एक यादगार अवसर बन गया।
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सम्पादक: मोहम्मद रज़ा
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