अजमेर: महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में ‘एक देश, एक विधान’ पर संगोष्ठी, वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने रखे विचार
अजमेर, 25 फरवरी 2025: महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के डॉ. बी. आर. अंबेडकर शोध पीठ द्वारा 'एक देश, एक विधान' विषय पर मंगलवार को एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने भाग लिया, जबकि अजमेर सेशन न्यायालय के अधिवक्ता परिषद अध्यक्ष जगदीश राणा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
इस संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने की। कार्यक्रम में वक्ताओं ने भारतीय संविधान की समान विधान व्यवस्था पर चर्चा की और इसे देश की एकता और अखंडता के लिए आवश्यक बताया।
मुख्य वक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि कानून निर्माता का दायित्व राष्ट्रीय हित में कानून बनाना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सांसदों और विधायकों की जिम्मेदारी है कि वे संविधान के अनुरूप समान विधान लागू करें, जिससे देश की विभिन्न समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जा सके।
विशिष्ट अतिथि जगदीश राणा ने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति के शाश्वत सिद्धांतों को अपनाने पर जोर दिया।
वहीं, कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने 'एक विधान' की अवधारणा को लेकर तीन प्रमुख सुझाव दिए:
1. समाज के प्रभावशाली नेताओं को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
2. न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार लाने के लिए सेवानिवृत्ति आयु और रिक्त पदों पर ध्यान देना होगा।
3. युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से राष्ट्रहित में जागरूकता अभियान चलाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
कार्यक्रम के समापन पर डॉ. बी. आर. अंबेडकर शोध पीठ के निदेशक प्रो. शिव प्रसाद ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर शोध पीठ द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता छात्रों को पुरस्कार भी वितरित किए गए।
संगोष्ठी के दौरान वक्ताओं ने भारत की एकता, संविधान की समानता और न्यायिक व्यवस्था में सुधार को लेकर अपने विचार साझा किए। यह कार्यक्रम संविधान के मूल सिद्धांतों और समान कानून व्यवस्था को लागू करने की आवश्यकता पर केंद्रित रहा।
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सम्पादक: मोहम्मद रज़ा
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