झालावाड़ में 'गंगा-जमुनी तहज़ीब' पर विशेष व्याख्यान का आयोजन, उर्दू शायरी में एकता और सद्भावना पर चर्चा
जश्न-ए-गणतंत्र दिवस के अवसर पर झालावाड़ के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज में उर्दू विभाग द्वारा "उर्दू शायरी में गंगा-जमुनी तहज़ीब: एकता और सद्भावना की खुशबू" विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक धरोहर और सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक गंगा-जमुनी तहज़ीब को प्रोत्साहित करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर फूल सिंह ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि उर्दू भाषा और साहित्य हमारी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और यह राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करते हैं।
मुख्य वक्ता का संदेश:
गवर्नमेंट कॉलेज, बारां के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शमशाद अली मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में उर्दू शायरी में एकता और सद्भावना की खुशबू को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "भारत को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने के लिए सांप्रदायिक सौहार्द और हिंदू-मुस्लिम एकता की आवश्यकता है। गंगा-जमुनी तहज़ीब इस दिशा में हमारी सबसे बड़ी धरोहर है।"
विशेष सम्मान:
कार्यक्रम में प्राचार्य प्रोफेसर फूल सिंह का सम्मान डॉ. रामकिशन माली ने माला और साफा पहनाकर किया। मुख्य वक्ता डॉ. शमशाद अली को डॉ. कमलेश वर्मा ने माला और साफा पहनाकर सम्मानित किया।
गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति:
इस व्याख्यान में झालावाड़ के प्रसिद्ध कवि और लेखक राकेश नैयर, सुरेश निगम, हरीश चंद्र शर्मा, हबीब, कृष्ण सिंह हाड़ा, धनीराम और अन्य साहित्यकार उपस्थित रहे। बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने भी इसमें भाग लिया।
आभार और समापन:कार्य
क्रम के संयोजक और उर्दू विभागाध्यक्ष फहीमुद्दीन टोंकी ने आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर हामिद अहमद ने किया, जबकि इकबाल फातिमा ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
इस आयोजन ने गंगा-जमुनी तहज़ीब के महत्व और इसके प्रचार-प्रसार के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। कार्यक्रम को सफल और प्रेरणादायक बताते हुए सभी ने इसे सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताया।
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