पोस्ट ग्रेजुएट टीचर की उम्र घटाने के मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

दिल्ली में पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (PGT) बनने के लिए उम्र घटाकर 30 साल करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। फेडरेशन फॉर एजुकेशनल डेवलपमेंट के सीनियर नायब सदर मास्टर अरशद चौधरी ने इसे नौजवानों के भविष्य के लिए नुकसानदायक बताया है। उन्होंने मुख्यमंत्री दिल्ली श्रीमती अतिशी से इस फैसले पर पुनर्विचार की गुजारिश की है।

मुख्य रिपोर्ट:

दिल्ली में हाल ही में पोस्ट ग्रेजुएट टीचर बनने के लिए अधिकतम उम्र सीमा को घटाकर 30 साल कर दिया गया है। इस फैसले ने हजारों युवाओं को निराश और चिंतित कर दिया है। फेडरेशन फॉर एजुकेशनल डेवलपमेंट के सीनियर नायब सदर, मास्टर अरशद चौधरी ने इस फैसले पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यह फैसला हजारों योग्य और मेहनती उम्मीदवारों को शिक्षक बनने के उनके सपने से वंचित कर देगा।

मास्टर अरशद चौधरी ने कहा:

> "दिल्ली में नौकरी हासिल करना पहले से ही एक चुनौतीपूर्ण काम है। यहां के युवा ऑल इंडिया लेवल के मुकाबले में हिस्सा लेते हैं और परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। लेकिन उम्र सीमा को 30 साल करने से योग्य उम्मीदवारों को ओवरएज होने का खतरा बढ़ गया है।"


उन्होंने आगे बताया कि किसी भी उम्मीदवार की शिक्षा पूरी करते-करते 25-26 साल की उम्र हो जाती है। यदि इस दौरान नौकरी नहीं निकलती या परीक्षा पास करने में देरी होती है, तो उम्मीदवार जल्द ही ओवरएज हो जाएगा। इससे उनकी पूरी पढ़ाई बेकार हो जाएगी।

पड़ोसी राज्यों में उम्र सीमा का उदाहरण:

मास्टर अरशद चौधरी ने पड़ोसी राज्यों का उदाहरण देते हुए बताया कि हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पोस्ट ग्रेजुएट टीचर बनने के लिए उम्र सीमा 40 साल रखी गई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्य में भी इसी तरह की उम्र सीमा होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री से अपील:

मास्टर अरशद चौधरी ने मुख्यमंत्री दिल्ली श्रीमती अतिशी से इस संवेदनशील मसले पर तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने कहा:

> "दिल्ली के लाखों नौजवान शिक्षक बनने का सपना देखते हैं। इस नए नियम के बाद उनका सपना अधूरा रह जाएगा। मेरी गुजारिश है कि दिल्ली में मेल कैंडिडेट्स के लिए अधिकतम उम्र सीमा 40 साल और फीमेल कैंडिडेट्स के लिए 45 साल की जाए। इससे प्रतियोगी माहौल में नौजवानों को किसी तरह की मायूसी का सामना नहीं करना पड़ेगा।"

फेडरेशन फॉर एजुकेशनल डेवलपमेंट के अनुसार, यह मुद्दा न केवल युवाओं के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है। अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री पर टिकी हैं कि वे इस मामले में क्या कदम उठाती हैं।


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सम्पादक: मोहम्मद रज़ा

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